सिंघिया/समस्तीपुर: सिंघिया नगर पंचायत की मंगलवार को बजट बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष खर्च की गई राशि का अधिकारी हिसाब दें। इसके बाद इस बार का बजट पास होगा। जब तक जवाब नहीं मिल जाता बजट को पास नहीं होने दिया जाएगा।पार्षदों के इस जवाब का अधिकारियों की तरफ से जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने बजट की बैठक का बहिष्कार कर बाहर निकल आए। पार्षदों ने कहा पिछले साल सौ करोड़ रुपए का बजट पास किया गया था। इसमें सरकार ने नगर पंचायत को कितनी राशि उपलब्ध कराई यह पूरी राशि खर्च हो गई। जबकि शहर की सड़कें, सीवर, पेयजल सहित अन्य समस्याएं जस की तस हैं। ऐसे में यह पूरी राशि कहां खर्च की गई। इसका पूरा जवाब सदन की बैठक में अधिकारी रखें।पार्षदों ने बजट पेश करने से पहले पिछले विकास कार्यों का पूरा ब्यौरा मांगा। इसमें सबसे अधिक फोकस सड़कें, स्ट्रीट लाइटें, पेयजल और शहर की सफाई पर रहा।पार्षद अमरनाथ सिंह ने नगर पंचायत के अधिकारियों से कहा कि अभी तक जो काम हुआ है उसे दिखाएं इसके बाद ही बजट पास होगा। पार्षद गुड्डू सिंह और विपक्ष के उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि विक्की कुमार ने कहा कि शहर का हाल तो जस का तस है लेकिन पिछले साल का बजट में पास की गई राशि पूरी खत्म हो गई। उन्होंने जवाब मांगा कि यह राशि कहां और किस काम पर खर्च हुई। इसका पूरा जवाब नगर पंचायत की अगली बजट बैठक होने से पहले दें। गौरतलब है कि नगर पंचायत की मुख्य पार्षद का बजट समेत अन्य योजनाओं को बोर्ड से पास कराने की दूसरी मुहिम भी कामयाब नहीं हुई.नाराज 13 पार्षदों ने उनकी सारी रणनीति पर पानी फेर दिया और बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद हंगामा के साथ बहिष्कार कर दिया. इस दौरान मुख पर्षद और कार्यपालक पदाधिकारी के विरोध में जमकर नारे भी लगाये गये. ऐसा लग रहा था कि नाराज पार्षद पहले से ही पूरी तरह से बैठक का बहिष्कार करने का मूड बनाकर आये थे, बताते चले की आखिरकार नगर पंचायत के पार्षदों के सब्र का बांध आखिर टूट ही गया। पार्षदों ने चेयरमैन पर मनमानी करने और पार्षदों की अनदेखी करने के आरोप लगाए हैं। विरोध में पार्षदों ने मंगलवार को प्रस्तावित पार्षदों की बैठक का बहिष्कार किया। पार्षदों का कहना है कि चेयरमैन द्वारा उन्हें किसी भी काम के लिए विश्वास में नहीं लिया जा रहा है। यहां तक कि उन्हें बजट एजेंडा की कॉपी तक नहीं दी गई। पार्षदों ने कहा है कि उन्हें केवल बैठक की सूचना भर दी जाती है। वह भी एक या दो दिन पहले। बैठक निर्धारित होने से पहले उन्हें विश्वास में नहीं लिया जाता। उनके द्वारा कहे जाने वाले किसी भी कार्य को नहीं करवाया जा रहा। बजट बैठक के बावजूद बजट की कॉपी किसी भी पार्षद को नहीं दी गई।महिला पार्षद ने कहा कि शहर के विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।पार्षदों ने कहा कि सभी पार्षद अनदेखी से नाराज हैं। सभी पार्षदों ने एकजुट होकर नगर पंचायत की बजट बैठक का बहिष्कार किया है। पार्षदों ने कहा है कि शहरवासी पार्षदों से कार्यों की उम्मीद करते हैं,लेकिन पार्षद चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे। जब कोई कार्य हो ही नहीं रहा तो बैठकों का दिखावा क्यों हो रहा है।पार्षदों का कहना है कि शहर में कोई भी कार्य ढ़ग से नहीं हो रहा। सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। नगर पंचायत प्रशासन के प्रति शहरवासियों में रोष बढ़ता जा रहा है। चेयरमैन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।