सिंघिया प्रखंड के पिपरा चौक पर अवैध मेडिकल संचालन का जलवा

- Repoter 11
- 03 Mar, 2025
सिंघिया/समस्तीपुर/सिंघिया प्रखंड के पिपरा चौक पर अवैध मेडिकल संचालन का खेल काफी पुराना है। पिपरा में बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर की भरमार है।नियमों को ताक पर रखकर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं। बिना लाइसेंस के चलने वाली इन दुकानों पर अप्रशिक्षित व्यक्ति मरीजों का दवा देते हैं। इन दुकानों पर अनाप सनाप कीमत में दवाएं बेचने का खेल भी खूब चलता है। विभागीय अधिकारियों से साठगांठ होने के कारण मेडिकल संचालक बेखौफ होकर अपनी दुकानें चला रहे हैं।वहीं विभागीय सेटिग कर यह मेडिकल संचालक गाव देहात से आने वाले मरीज के तीमारदारों को जमकर दवाओ के नाम पर लूटते हैं जबकि विभागीय अधिकारी में कोई न कोई अधिकारी निरीक्षण करने आता है, तो झोला भर कर जाते है,आज तक किसी ने इन मेडिकल स्टोर के लाइसेंस तक चेक नहीं किए दवाओं का निरीक्षण नहीं किया। पिपरा चौक पर बड़ी संख्या में बिना नियम के मेडिकल दुकानों का संचालन किया जा रहा है। इसमें कई मेडिकल संचालक किराए पर लाइसेंस तो कई मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट के धड़ल्ले से चला रहे है। वहीं कई तो इससे भी आगे बढ़कर बिना लाइसेंस के कटघरे में ही दवाई दुकान संचालित कर रहे हैं।ऐसे में इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य में कभी भी बड़ी घटना हो सकती है। इसमें बड़ी बात यह है कि बिना अनुभव वाले ही पूरे समय दुकान संभाल रहे हैं और दवाइयां भी लोगों को दे रहे हैं। जिम्मेदार अभियान चलाकर लगातार कार्रवाई नहीं कर रही है, इससे ऐसे लोगों के हौसले बुलंद हैं और बिना अनुभव वाले मरीज के परिजनों को दूसरा दवाई भी दे रहे है।जो लोगों के लिए जान पर भी बन सकती है। इसके बाद भी न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है। लोगों ने ऐसे दुकान संचालकों पर कार्रवाई करने की मांग की है। बता दें कि जिसके पास फार्मासिस्ट की डिग्री होती है वहीं मेडिकल स्टोर्स चला सकते है। लेकिन जिले में फार्मासिस्ट की डिग्री के आधार पर दूसरे लोग दुकान का संचालन कर रहे हैं। फार्मासिस्ट दूसरे काम में व्यस्त रहते हैं, जिन्हें दुकानों का कोई अनुभव नहीं है, वहीं उनकी दुकानों पर कई कम पढ़े लिखे लड़के दिनभर दुकान में आने जाने वाले लोगों को दवाई दे रहे हैं। ऐसे में कई बार डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई के जगह पर अन्य दवाई मरीज या उनके परिजनों को दे दी जाती है। इससे उनकी साइड इफेक्ट झेलनी पड़ती है। कम पढ़े लिखे व जल्दीबाजी के चक्कर में कई लोग मिलान भी नहीं करते हैं, इसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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