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लहेरियासराय थाने की पुलिस अब पेपरलैस बनने की ओर

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लहेरियासराय/दरभंगा:दरभंगा जिले के लहेरियासराय थाने की पुलिस अब पेपरलैस बनने जा रही है।अब यहां पर बहुत जल्द सभी कामकाज ई सिस्टम के जरिए शुरू कर दिए जाएंगे।थानों में अब कागज नहीं,कंप्यूटर पर ही काम होगा। डिजिटल इंडिया की मुहिम का असर यहां भी दिखेगा।इसकी कवायद लहेरियासराय थाना के पुलिस निरीक्षक सह थाना अध्यक्ष दीपक कुमार ने शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि,थानों को बहुत जल्द तकनीकि सुविधाओं से लैस कर दिया जाएगा।इसके बाद सब कुछ डिजिटल होगा।थानों को पूरी तरह पेपरलेस बनाया जाएगा। दरभंगा जिले के लहरियासराय थाना में पुलिसिंग को अत्याधुनिक बनाने की दिशा को एक बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है।थाना अध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि ई-ऑफिस प्रणाली को शुरू हो जाने से तेजी और पारदर्शिता के साथ समय और रुपए की होगी काफी बचत। पुलिस निरीक्षक सह थाना अध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि ई-ऑफिस प्रणाली से ना सिर्फ स्टेशनरी की बचत होगी,बल्कि स्टाफ का समय और यात्रा खर्च भी कम होगा। जरूरी पेपर्स को ऑनलाइन चेक कर, डिजिटल हस्ताक्षर के साथ भेजा जा सकता है।इससे कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी और जनता की शिकायतों का निस्तारण भी तेज़ी से होगा। ई-ऑफिस शुरू हो जाने के बाद से प्रत्येक कागजात पर डिजिटल हस्ताक्षर के साथ दिन और समय की एंट्री दर्ज होगी,जिससे सुनवाई में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी की जवाबदेही तय की जा सकेगी।और कार्यालय में आने वाली प्रत्येक फाइल की स्पष्ट ट्रैकिंग होगी कि वह किस अधिकारी या कर्मचारी के पास कितने समय तक रही। इससे काम की जवाबदेही सुनिश्चित होगी और पारदर्शिता बनी रहेगी। बताते चलें कि,पेपरलेस पुलिसिंग का मतलब है, पुलिस विभाग में कागज़ों के बजाय डिजिटल तरीके से काम करना. इस प्रणाली को ई-ऑफ़िस के नाम से जाना जाता है. इससे पुलिस विभाग में पारदर्शिता, जवाबदेही, और दक्षता बढ़ती है. साथ ही, कागज़ों से जुड़े खर्च भी कम होते हैं.इससे अधिकारियों को काफ़ी राहत मिलती है.जनता की शिकायतों का निस्तारण भी बहुत कम समय में हो जाता है.जांच लंबित होने पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारी जवाबदेह होते हैं.भारी फ़ाइलों की ज़रूरत खत्म हो जाती है.सभी प्रशासनिक काम डिजिटल रूप से संचालित किए जा सकते हैं.पेपरलेस पुलिसिंग में निम्नलिखित कार्यों के लिए डिजिटल उपकरणों और प्लेटफार्मों का उपयोग करना शामिल है।पुलिस रिकॉर्ड, जांच और रिपोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहीत और प्रबंधित करना।   

जानकार पुलिस एजेंसियों के बीच सूचना के सुरक्षित एवं कुशल आदान-प्रदान को सुगम बनाना।वरिष्ठ अधिकारियों को मोबाइल डिवाइस का उपयोग करके भी दूर से ही फाइलें साफ़ करने और डेटा तक पहुंचने में सक्षम बनाना।नागरिकों को प्रथम सूचना रिपोर्ट एफआईआर ऑनलाइन दर्ज करने की अनुमति देना।अदालती दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना।उनके फ़ायदे:डिजिटल प्रणालियाँ कार्यों को स्वचालित कर सकती हैं, कागजी कार्रवाई को कम कर सकती हैं और प्रक्रियाओं को गति दे सकती हैं। इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों तक पहुंच और लेखापरीक्षा आसान हो गई है,जिससे पुलिस कार्यकलापों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिला है।  डिजिटल प्रणालियाँ डेटा सुरक्षा में सुधार कर सकती हैं और महत्वपूर्ण रिकॉर्डों की हानि या क्षति को रोक सकती हैं। ई-पेपरलेस पुलिसिंग से संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने और समग्र पुलिस प्रदर्शन में सुधार करने में मदद मिल सकती है। गौरतलब है कि,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार प्रशासनिक कार्यों को डिजिटल बनाने पर जोर दे रही है। इसी कड़ी में पुलिस विभाग भी ई-ऑफिस प्रणाली को अपनाकर पूरी तरह डिजिटल वर्किंग सिस्टम की ओर बढ़ रहा है।

खबर/मोहम्मद आलम

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