पत्रकारिता अब मिशन नहीं बन गया प्रोफेशन

- Repoter 11
- 12 Apr, 2025
जैसे बारिश के दिनों में जगह-जगह बाढ़ देखने को मिलती है वैसे ही अब जगह-जगह गांव-गांव में पत्रकारों की बाढ़ से आ गई है। बिना रजिस्ट्रेशन स्वयंभू मनमाने माइक आईडी लेकर घूम रहे हैं खबर लिखने बने या ना बने पर पत्रकार बन गए ना कोई डिग्री ना कोई पीआरओ में जानकारी और फिर शुरू होती है पत्रकारिता के नाम पर अवैध वसूली। माना कि पत्रकारिता अब मिशन नहीं यह एक प्रोफेशन और बिजनेस हो चला है, मगर क्या हर प्रोफेशन और बिजनेस का कोई एथिक्स नहीं होता। चंद टुकड़ों पर अपनी जमीर बेचना ही अब कुछ के लिए पत्रकारिता बन गई है ताज्जुब तो इस बात का है कि इन सब घिनौने करतूतों को जानने के बाद भी कोई सख्त कदम उठता नहीं दिख रहा है जिसका नतीजा यह है कि पत्रकार और उसकी पत्रकारिता रसातल में घुसती चली जा रही है। पिछले कुछ समय से ऐसे गीदड़ भेड़ की शक्ल में आ घुसे हैं कि समाज में पत्रकार का सम्मान खत्म होता जा रहा है। आज कलम कुछ ऐसे हाथों में पहुंच गई है जिन्हें पत्रकारिता से कुछ लेना-देना नहीं अवैध कारोबार कर फर्जी पत्रकारिता की कलम को अपना सुरक्षा कवच बनाए हैं।पत्रकारिता की आड़ में शुद्ध दलाली कर रहे हैं और त्रासदी यह है कि इन तथा कथित दलाल पत्रकारों को प्रशासनिक पुलिस अधिकारियों जनप्रतिनिधियों का भरपूर संरक्षण मिल रहा है। कुछ दलाल पत्रकारों ने थानों में ऐसी पैठ बना रखी है कि बिना उनकी सहमति के पत्ता नहीं हिल सकता।अगर फरियादी फरियाद लेकर जाए तो पहली मुलाकात उन तथा कथित दलाल पत्रकारों से होती है जो दिन भर थाने में बैठकर पुलिस की दलाली करते हैं। ऐसे में पीड़ित को भला न्याय मिल पाना कहां तक संभव हो पाएगा। पत्रकारिता जगत को कलंकित कर रहे कई बार अवैध वसूली, मारपीट ,चोरी से लेकर चमचागिरी करने वाले पत्रकारों की हकीकत की खबरें हम सबके सामने आती रहती हैं। चाहे रोसड़ा, दलसिंहसराय, पटोरी, समस्तीपुर सदर,या बिहार की राजधानी पटना ही क्यों न हो,चंद पत्रकारों को छोड़ दिया जाए तो पूरी की पूरी पत्रकारिता अब केवल दलाली के ही सिलेबस पर चल रही है।अब हालत तो यह है कि ऐसे पत्रकार अपनी प्रतिबद्धता आम आदमी और खबरों को छोड़ कर अपने राजनीतिक और अफसरशाही आकाओं के चरणों के सामने माथा टिकाते हैं। उनके सामने अब खबर नहीं, दलाली ही असल पत्रकारिता बनती जा रही है। स्थानीय थाना क्षेत्र में तथाकथित पत्रकार पुलिस के मिली भगत से जमकर दलाली का धंधा कर रहे हैं। यहां के कुछ तथा कथित पत्रकार बेशर्मी का चादर ओढ़ कर सुबह होते ही थाने पर पहुंच जाते हैं। और शाम तक पुलिस के पनाह में बैठकर वहां चाय की चुस्कियां लेते हैं। साथ ही रुपया डकारने वाले मामले की डीलिंग भी होती है। इनकी पत्रकारिता दलाली के बुनियाद पर टिकी रहती है। चर्चा के मुताबिक कुछ तो नामी बैनर के पत्रकार भी हैं जो सुबह की पहली किरण के साथ ही थाने में प्रकट होकर वहां के कुर्सी पर आसीन हो जाते हैं। और तब तक नहीं हिलते जब तक चाय पानी हलक के नीचे नहीं उतर जाता, सूत्रों के मताबिक पुलिस से मिलकर ये तथाकथित पत्रकार पत्रकारिता के आर में दलाली के जरिए रुपया डकारने का घृणित खेल खेलते हैं। शायद यही वजह है कि, इनके खाओ और खाने दो की नीति से पुलिस भी खुश रहती है। बात थाने पर खत्म नहीं होती है। बल्कि इनका अंगद रूपी पैर दो पहर बाद थाने से हट कर अनुमंडल कार्यालय, अंचल कार्यालय, प्रखंड कार्यालय, और अस्पताल पर भी जम जाता है। इस तरह एक तरफ जहां पत्रकारिता जगत शर्मसार हो रहा है। वही दूसरी ओर कानून के रखवाले कानून के गरिमा को दागदार करने की कवायद पूरी कर रहे हैं। यह समझते हैं कि, कोई कुछ नहीं समझता मगर इन्हें कौन समझाए कि यह पब्लिक है, सब जानती है।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *