रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की ठहराव को लेकर आमरण अनशन के चार दिन बीतने के बाद तक न तो किसी जनप्रतिनिधि ने आंदोलनकारियों से वार्ता करना मुनासिब समझा है और ना ही रेलवे विभाग के जिम्मेदार अधिकारी डीआरएम इधर झांकना गंवारा समझा है।

- Repoter 11
- 07 Jul, 2025
मोहम्मद आलम
रोसड़ा/समस्तीपुर:। रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन सहित अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों कि मांग को लेकर रोसड़ा घाट रेलवे स्टेशन के परिसर में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन एवं भूख हड़ताल के चौथ दिन सोमवार को भी जारी है।उनकी मांग है कि रूसेरा घाट रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव किया जाए। गौरतलब है कि रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन अनुमंडल मुख्यालय होने के साथ ही एक प्रमुख कस्बा भी है. व्यापारिक दृष्टिकोण से देखें तो यहां के व्यापारी समस्तीपुर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पटना, बेगूसराय, के अलावा यूपी से भी तालुकात रखते हैं। ऐसे में इस स्टेशन पर प्रमुख ट्रेनों का ठहराव यात्री सुविधाओं के साथ साथ व्यापारिक दृष्टिकोण से भी कई मायने में प्रमुख माना जाता है। प्रमुख ट्रेनों के ठहराव होने से लोगों को जहां सुगम रेल यात्रा का लाभ मिलेगा वहीं रेलवे के राजस्व में भी वृद्धि होगी। लोगों का कहना है कि,हम लोग मांग करते-करते थक हार चुके हैं, लेकिन रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रहे हैं।ऐसे में अब इस बार आंदोलन तेज करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं दिखता है।अन्य आंदोलनरत लोगों में युवा नेता मनीष पासवान, आकाश गारा,सिद्धार्थ सिंह, मिश्रा विश्व बारूद, मोहम्मद आमिर आदिल, मोहम्मद नौशाद अंसारी,प्रिंस शर्मा, रवि रंजन मिश्रा विश्वकर्मा, इत्यादि लोग इस बार आंदोलन से पीछे हटने को कदापि तैयार नहीं है। रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन पर कई प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर चार दिनों से अनशन पर बैठे ग्रामीणों संग आमिर आदिल ने बताया कि इस बार पीछे हटने का सवाल ही नहीं होता।जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी, रेलवे बोर्ड के अधिकारी या जनप्रतिनिधि मौके पर आकर ट्रेनों के ठहराव नहीं कराते हैं तब तक पीछे हटने का कोई सवाल ही उत्पन्न नहीं होता है. आकाश गाड़ा भी उनकी बातों का समर्थन करते हैं कि अब आर-पार की लड़ाई होगी,बताना महत्वपूर्ण होगा कि जब-जब क्षेत्र की जनता यात्री सुविधाओं को लेकर मुखर हुई है तब तक रेलवे बोर्ड के अधिकारियों से लगाए जनप्रतिनिधियों ने अपनी नाक बचाने के लिए कोरे आश्वासन का सहारा लेते हुए जन आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास किया है। इसमें वह सफल भी हुए हैं, लेकिन अपने दिए गए आश्वासनों पर वह खरे नहीं साबित हुए हैं।जिसका परिणाम यह है कि लोगों को अक्सर जन आंदोलन का सहारा लेना पड़ता रहा है।मौजूदा समय में बहुत कम इस रेल मार्ग पर एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव किया जाता है।जबकि कई प्रमुख ट्रेनों का आवागमन होता है। समस्तीपुर रेल मंडल में रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन का भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है जो आज भी है।लेकिन कहते हैं कि “जैसे-जैसे दवा की, वैसे-वैसे मर्ज भी बढ़ता गया” की तर्ज पर जैसे-जैसे इस रेलमार्ग में विकास की किरण दिखलाई देनी शुरू हुई है वैसे-वैसे ही यात्री सुविधाओं के नाम पर रेलवे बोर्ड के अधिकारी अपने लालफीताशाही रवैए के चलते मनमानी करते नजर आए हैं। 4 जून 2025 दिन शुक्रवार से प्रारंभ होकर चार दिनों तक अनवरत चले व्यापारी, ग्रामीण, अधिवक्ता से लगाए श्रमिक वर्ग के लोग भी इस आंदोलन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए समय देते नजर आ रहे हैं। बावजूद इसके इस आंदोलन के चार दिन बीतने के बाद तक न तो किसी जनप्रतिनिधि ने आंदोलनकारियों से वार्ता करना मुनासिब समझा है और ना ही रेलवे विभाग के जिम्मेदार अधिकारी डीआरएम इधर झांकना गंवारा समझा है। रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन देश की आजादी के बाद से अनवरत बुनियादी यात्री सुविधाओं से जूझता आ रहा है. पिछले ढाई दशक से रोसड़ा को जिला बनाने को लेकर संघर्षरत रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा की माने तो रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन की उपेक्षा के लिए कोई और नहीं बल्कि महकमें के जिम्मेदार अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि काफी हद तक जिम्मेदार है.वह खुले तौर पर कहते हैं और सवाल भी खड़े करते हैं कि, यदि ऐसा न होता तो भला यह आमरण अनशन करने की नौबत ही क्यों उत्पन्न होती है? युवा नेता मनीष पासवान अपना पक्ष रखते हुए बड़े ही बेबाकी से कहते हैं, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के गठजोड़ का ही प्रतिफल है कि रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।गौरतलब है कि रेलवे की नीतियों एवं जनप्रतिनिधियों के उपेक्षापूर्ण रवैए से त्रस्त रोसड़ा के नागरिकों ने रेल यात्री सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की मांग को लेकर दूसरा घाट रेलवे स्टेशन पर आमरण अनशन प्रारंभ किए हुए हैं।लेकिन हद की बात है कि अपनी हठधर्मिता पर आमादा रेलवे महकमा आमरण अनशन के चार दिन बाद भी नहीं जगा।चार दिनों से नागरिकों का खुले आसमान के नीचे आमरण अनशन जारी है। रोसड़ा अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सक ने पहुंच अनशनरत कर रहे साथी का स्वास्थ्य परीक्षण किया। चिकित्सक ने लगातार भूख हड़ताल कर रहे साथी के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की चेतावनी दी। लगभग दर्जनों गांवों और लाखों की आबादी वाले इस इलाके के लोगों द्वारा स्टेशनों पर ट्रेनों के ठहराव की मांग कर रहे है।आंदोलन की अगुवाई कर रहें मनीष पासवान ने बताया कि जब तक उच्चाधिकारियों या रेल विभाग द्वारा उचित आश्वासन नहीं मिल जाता अनशन जारी रहेगा।
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