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रुसेरा घाट स्टेशन पर ठहराव की गूंज, कवि विजय वर्थ की कविताओं ने भरी युवाओं में नई जान

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मोहम्मद आलम

रोसड़ा। रुसेरा घाट रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर रविवार को रोसड़ा की सड़कों पर जो नजारा दिखा, उसने आंदोलन को एक नई ऊँचाई दे दी। शहर के युवाओं के नेतृत्व में हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतरे और जनसैलाब की शक्ल में यह मांग गूंज उठी।जुलूस और नारेबाजी के बीच सबसे खास पल तब आया, जब सैनिक स्कूल बठहा के वरीय शिक्षक एवं चर्चित कवि विजय वर्थ कंठ मंच पर आए। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से युवाओं का हौसला बढ़ाया और सीधे सरकार को ललकारते हुए ठहराव की मांग पूरी करने का आह्वान किया।

कविताओं पर गूंजा तालियों का शोर

जैसे ही विजय वर्थ कंठ ने अपनी धारदार कविताओं का पाठ किया, हजारों की संख्या में मौजूद भीड़ तालियों से गूंज उठी। उनकी पंक्तियों ने युवाओं में जोश और ऊर्जा भर दी और आंदोलन का माहौल और प्रखर हो गया।लोगों ने कहा कि यह कविताएं केवल शब्द नहीं, बल्कि जनता की पीड़ा और संघर्ष की आवाज़ हैं, जो सीधे सरकार तक पहुंचनी चाहिए।

आंदोलन की गहराती चेतावनी

प्रदर्शनकारियों ने एक बार फिर साफ कर दिया कि रुसेरा घाट स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव केवल सुविधा का सवाल नहीं, बल्कि जनता का हक़ है। युवाओं का कहना था—“अब यह लड़ाई रुकने वाली नहीं, जब तक मांग पूरी नहीं होती, आंदोलन और बड़ा और तेज़ होता जाएगा।”

जनसैलाब ने दी सरकार को सीधी चुनौती

दुकानदारों से लेकर शिक्षकों, बुद्धिजीवियों और आम जनता तक हर वर्ग का समर्थन इस आंदोलन को ऐतिहासिक बना रहा है। कवि विजय वर्थ कंठ की कविताओं ने इस जनसैलाब में आग में घी डालने का काम किया।
अब साफ है कि यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि रोसड़ा की आवाज़ बन चुका है—जिसे अब अनदेखा करना नामुमकिन होगा।

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