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डीबीकेएन में एसएफआई का भूख हड़ताल पीजी में नामांकन की घोषणा के बाद विधायक ने कराया समाप्त!

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अमरदीप नारायण प्रसाद
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चार दिवसीय भूख हड़ताल के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन झुका
---------------------------------------इस सत्र से हिंदी व अगले सत्र से प्राचीन भारतीय इतिहास के साथ राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई करेंगे छात्र 
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कैंपस में छात्र संगठन एसएफआई की हुई ऐतिहासिक जीत!
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बिभूतिपुर (समस्तीपुर):  छात्रहितों की रक्षा के लिए समर्पित संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया एसएसआई के बैनर तले डीबीकेएन कॉलेज नरहन में बीते चार दिनों से जारी भूख हड़ताल चौथे दिन ऐतिहासिक जीत के साथ समाप्त हुई।छात्रों की प्रमुख मांग थी कि इस शैक्षणिक सत्र से ही कॉलेज में स्नातकोत्तर पीजी नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाए।विगत 12 सितंबर से लगातार शांतिपूर्ण भूख हड़ताल कर कर रहे छात्रों से चौथे दिन एसएफआई के पूर्व जिलाध्यक्ष व स्थानीय विधायक कॉमरेड अजय कुमार मिलने पहुंचे।छात्रों की मांग को सुनने के बाद उन्होंने बताया कि सीनेट में तो हमने इस कॉलेज के साथ आरबी कॉलेज एवं एएनडी कॉलेज में सभी विषयों की पढ़ाई चालू करने के लिए प्रस्ताव भी रखा था।मौके पर उपस्थित कॉलेज प्राचार्य आदित्य चंद्र झा एवं दूरभाष से विश्वविद्यालय कुलसचिव से बात किए।उन्होंने यह जानकारी दिया कि इस सत्र से इस कॉलेज में पढ़ाई चालू नहीं हो सकती है।छात्रों से वार्तालाप करने के लिए सीसीडीसी के साथ एक अन्य पदाधिकारी भी आश्वासन देने जा रहे हैं।यह बात सुनते ही हड़ताल में शामिल सभी छात्रों की हालत और अधिक खराब हो गई।
इसके बाद विधायक ने तुरंत कुलपति को फोन लगाया।विधायक एवं कुलपति के बीच काफी देर बातचीत के बाद आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन को झुकना पड़ा और छात्रों की मांगों को स्वीकार करते हुए;यह घोषणा की गई कि इसी सत्र से डीबीकेएन कॉलेज नरहन में हिंदी विषय से पीजी नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं प्राचीन भारतीय इतिहास एवं राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई अगले सत्र से चालू की जाएगी,उसके बाद स्थानीय विधायक अजय कुमार,समाजसेवी अमरजीत ठाकुर,जनौस नेता बबलू कुमार,पियूष कुशवाहा,शिक्षक टीबी सिंह,आशीष दिवाकर,राकेश कुमार के साथ अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ता भूख हड़ताल में शामिल सभी छात्रों को स्थानीय पीएचसी में भर्ती कराकर इलाज करवाया।उसके बाद भूख हड़ताल समाप्त किया गया।इस आंदोलन का नेतृत्व छात्र नेता केशव झा ने किया, जिन्होंने पूरे आंदोलन के दौरान साहस, दूरदृष्टि और रणनीतिक कुशलता का परिचय दिया। उनके नेतृत्व में यह आंदोलन अनुशासन और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ता रहा।पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह एसएफआई की ऐतिहासिक जीत है।इस संघर्ष में एसएफआई के जिलाध्यक्ष नीलकमल यादव और प्रिंस कुमार की भूमिका भी अत्यंत सराहनीय रही।इन दोनों ने न सिर्फ आंदोलन को सक्रिय समर्थन दिया,बल्कि लगातार भूख हड़ताल में भाग लेकर छात्रों का मनोबल बढ़ाया।उनका यह योगदान विभूतिपुर की जनता के बीच सदैव स्मरणीय रहेगा।वहीं एसएसआई जिलाध्यक्ष नीलकमल ने कहा कि इस आंदोलन में समर्थन देने आए सभी शिक्षकों, छात्र-छात्राओं,अभिभावकों, पत्रकारों, शिक्षा-प्रेमियों एवं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का तहेदिल से आभार प्रकट करते हैं,जिन्होंने इस संघर्ष में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन देकर छात्रों की आवाज़ को ताक़त दी।यह जीत केवल एक कॉलेज की नहीं, बल्कि हर उस छात्र की है जो बेहतर और सुलभ उच्च शिक्षा का हकदार है।एसएफआई यह संकल्प लेती है कि आगे भी छात्रहितों और शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करता रहेगा।

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